क्या पहले यहाँ तय था की एक वफादार नौकर आपने मालिक को बचा लेगा। या यह रणनीति बाद में बनाई गई है। क्या ऐसा हो सकता है, कि नौकर ने सब किया और हर महीने आने वाले मालिक को कुछ पता नहीं ?
क्या इस केस को भी आम जनता की जागरूकता नया मोड़ देगी या फिर जैसा चल रहा है वैसा चलता रहेगा । मीडिया भी इसे अब भूलती जा रही है और जनता तो वैसे ही अपने महगाई के कारण परेशांन है उसे कहाँ इतना वक़्त कि अपने गम भूल कर औरो कि परवाह करती रहे पर जब कभी मीडिया ऐसा कुछ करती है तो साथ देने जरुर आ जाती है । आज फिर न्यूस में निठारी केस का देख कर याद आया के कुछ और रुचिका इंसाफ का इंतजार कर रही है ।
क्या उनको भी इंसाफ मिलेगा या ................?
Tuesday, December 29, 2009
निठारी केस में पंधेर को एक मामले में दोषी नहीं मन गया
Posted by Pradeep raj soni at 1:18 AM 0 comments
Wednesday, December 23, 2009
आखिर पैसा जीता इंसानियत नहीं
सिर्फ इस बार ही नहीं हमारे देश में हमेशा पैसे वाले लोगो का कुछ नहीं होता चाहे वो फिल्म एक्टर कुछ करे या किसे नेता के बच्चे ही कुछ करे और अब नए साल के जश्न में कितने गरीब रोड पर कुचले आखिर पैसा जीता इंसानियत पैसा जीता इंसानियत.........
Posted by Pradeep raj soni at 11:53 AM 0 comments
क्या 19 साल बाद रुचिका को इंसाफ मिला ?
19 साल बाद रुचिका को इंसाफ तो मिला लेकिन अधूरा। रुचिका के मुजरिम हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को सिर्फ 6 महीने की सजा मिली लेकिन फिर भी वो जेल नहीं गए। जमानत पर आज भी बाहर हैं| 19 साल तक मीडिया या समाज सेवी संस्थाएं क्या कर रही थी, इनकी समाज के लिए जवाबदारी कितनी है ? यंहा इन शिकायत नहीं पर उम्मीद है की इन के कारण ही कुछ जगह न्याय की उम्मीद होती है। यंहा अब जब इंसाफ मिला तो क्या ६ महीने की सजा और जमानत में बाहर इसके बाद सोचना होगा की क्या कानून सिर्फ गरीब लोगो के लिए है कोई बिना टिकिट पकड़ा गया तो जुरमाना नहीं भरा तो जेल में और कोई कुछ भी करे तो भी कुछ नहीं.....
क्या शक्तिशाली लोगो का कुछ नहीं होगा ? क्या समाज को ही न्याय प्रक्रिया के लिए दबाव बनाना होगा ?
देर से ही सही मीडिया ने इस मुद्दे को उठाया तो पर क्या इसके बाद हम और इस तरह के कानूनी फैसलों के खिलाफ बोलंगे ?
अगर मीडिया चाहिती है तो वो बात सबके सामने आती है और अगर मीडिया उसे ना ध्यान दे तो आम लोगो को कोई फर्क नहीं पड़ता की किस के साथ क्या हुआ हम इन सब के आदी हो गए है । चाहे कोइ फिल्म एक्टर किसे जानवर का शिकार करे... या राश्ते पर किसी को कुचल दे.... । सब चलता है क्योकि उसकी पास पैसे है । वही यदि कोई किसान आपने खेत को बचाते हुए किसी जानवर को मर दे तो पुलिस उसे छोडती नहीं चाहे वो अपराध जान कर न किया हो तब भी । कितने सारे लोग है जो पैसे के दम पर बाहर घूम रहे है । फिर क्यों किसी आम आदमी के साथ सारे नियमो का जुम्मा होता है । बड़े लोग चाहे तो कुछ भी करे । आज समाज को मीडिया के लिए कहना होगा की इनके कारण ही शायद कुछ जगह पर गलत होते - होते रुक जाता है । नहीं तो ????????????????????????
Posted by Pradeep raj soni at 5:29 AM 1 comments
Saturday, December 12, 2009
महंगाई की मार
महंगाई की मार :
फ़िर वही लोग फ़िर वही सरकार देश में बदलाव क्या हुआ,
क्या सोच ना होगा हम को?
न्यूस में चावल घोटाले के बारे में पड़ के लगा की हमारी ही गलती है, हम सब सह लेते है तो परिवर्तन कैसे होगा....
कोई विरोध नही है.....
??????????????????????????????
Posted by Pradeep raj soni at 1:04 AM 2 comments