19 साल बाद रुचिका को इंसाफ तो मिला लेकिन अधूरा। रुचिका के मुजरिम हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को सिर्फ 6 महीने की सजा मिली लेकिन फिर भी वो जेल नहीं गए। जमानत पर आज भी बाहर हैं| 19 साल तक मीडिया या समाज सेवी संस्थाएं क्या कर रही थी, इनकी समाज के लिए जवाबदारी कितनी है ? यंहा इन शिकायत नहीं पर उम्मीद है की इन के कारण ही कुछ जगह न्याय की उम्मीद होती है। यंहा अब जब इंसाफ मिला तो क्या ६ महीने की सजा और जमानत में बाहर इसके बाद सोचना होगा की क्या कानून सिर्फ गरीब लोगो के लिए है कोई बिना टिकिट पकड़ा गया तो जुरमाना नहीं भरा तो जेल में और कोई कुछ भी करे तो भी कुछ नहीं.....
क्या शक्तिशाली लोगो का कुछ नहीं होगा ? क्या समाज को ही न्याय प्रक्रिया के लिए दबाव बनाना होगा ?
देर से ही सही मीडिया ने इस मुद्दे को उठाया तो पर क्या इसके बाद हम और इस तरह के कानूनी फैसलों के खिलाफ बोलंगे ?
अगर मीडिया चाहिती है तो वो बात सबके सामने आती है और अगर मीडिया उसे ना ध्यान दे तो आम लोगो को कोई फर्क नहीं पड़ता की किस के साथ क्या हुआ हम इन सब के आदी हो गए है । चाहे कोइ फिल्म एक्टर किसे जानवर का शिकार करे... या राश्ते पर किसी को कुचल दे.... । सब चलता है क्योकि उसकी पास पैसे है । वही यदि कोई किसान आपने खेत को बचाते हुए किसी जानवर को मर दे तो पुलिस उसे छोडती नहीं चाहे वो अपराध जान कर न किया हो तब भी । कितने सारे लोग है जो पैसे के दम पर बाहर घूम रहे है । फिर क्यों किसी आम आदमी के साथ सारे नियमो का जुम्मा होता है । बड़े लोग चाहे तो कुछ भी करे । आज समाज को मीडिया के लिए कहना होगा की इनके कारण ही शायद कुछ जगह पर गलत होते - होते रुक जाता है । नहीं तो ????????????????????????
Wednesday, December 23, 2009
क्या 19 साल बाद रुचिका को इंसाफ मिला ?
Posted by Pradeep raj soni at 5:29 AM
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1 comments:
.खून खौल रहा है
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