Thursday, January 28, 2010

नाइटराइडर्स बन सकते हैं अब्दुल रज्जाक और गुल

आखिर हमने आपनी पुरानी आदत दिखा दी पहले बड़े शान से पाकिस्तानी खिलाडियों को नहीं लिया और फिर धोखे बाज पाकिस्तान की धमकी से डरकर अब उनके खिलाडी ले रहे है, कोई बात नहीं फिर एक दो हमले हो देशहम तो क्रिकेट से मतलब रखते है कोई मरे क्या मतलब अगर ऐसा ही करना था तो शान क्यों दिखा रहे थे। पाकिस्तान कभी नहीं सुधरेगा क्योकि हम नहीं चाहते की वो सुधरे...........................................

चलो फिर एक बार हम दोस्त दोस्त खेले तुम फिर मुझे धोका देना मैं तुम्हे फिर मोका दूंगा..................

चलो फिर क्रिकेट खेले देश तो बाकि सभी बातो के लिए है खेल में हम दोस्त रहे तुम यंहा से पैसे कमाओ और हमारे देश के खिलाफ उपयोग करो..................

Tuesday, January 26, 2010

तो अब देश की सुरक्षा और खेल अलग - अलग होंगे

अब देश की सुरक्षा की जवाबदारी देश के आदर्श कहे जाने वाले खिलाडी जो हमारे देश को दुनिया में प्रतिनिधित्व करते है उन पर नहीं है वो आजाद हैवो किसी भी देश के साथ खेल सकते हैसीमा पर तो जवानों की जवाबदारी हैहम तो देश में क्रिकेट खेलेंगे चाहे कल फिर कोई हमला हो , हम अपने देश के साथ ऐसे लोगो का विरोध नहीं करेंगे

शायद मैं कुछ ज्यादा ही गुस्से से ये लिख रहा हूँ पर बहुत से लोग इस बात पर मुझ से सहमत होंगे....

अगर बच्चे की गलतियों को माता पिता भी छोड़ दे तो वह बिगड़ जाता है तो फिर भारत क्यों पाकिस्तान को हमेशा माफ़ करता रहे और बिगड़ने का मोका देता रहे अगर वह के लोग चाहे तो उनके नेता कभी भारत पर हमला कर सके फिर ये कैसे कह सकते है कि पाकिस्तान के लोग भारत से लड़ना नहीं चाहते चाहे वो क्रिकेट खिलाडी हो या आम नागरिक सब मिले है.........!

Monday, January 25, 2010

शर्मिंदा है शाहरुख़ और शायद हम भी.....

कोलकाता नाइटराइडर्स के मालिक शाहरुख शर्मिंदा है । क्यों आप को उस समय समझ नहीं आया आप को पूरी पाकिस्तान टीम खरीद लेना था । मुंबई हमला हो या जम्मू हम खेल का महत्व जानते है देश का क्या करना.....
आखिर क्रिकेट सबसे ऊँचा और फिर पाकिस्तान ने कह दिया है । हम अपने देश में आतंक वाद नहीं हटा सके तो भारत का पर हमले के हमारी जवाब दारी नहीं है । फिर ऐसे में खिलाडी तो खरीदना ही चाहिए क्योकि भारत में तो खिलाडी नहीं है और दुनिया के किसी देश के खिलाडी नहीं लेते तो चलता पर पाकिस्तान के खिलाडी लेना जरूरी है.......
शाहरुख़ जी इसके बाद तो हमे भी शर्म आ रही है , अपने देश की सुरक्षा के लिए हम अब भी पड़ोसियों के और देखते है ..............

Tuesday, January 19, 2010

आखिर क्रिकेट से ऊँचा देश है

जब हम किसी से बार बार धोखा खा चुके है तो ऐसे में कोई भी सम्बन्ध रखना जरूरी नहीं है चाहे वो कोई खेल हो या राजनीतिक। और कुछ लोगो का कहना है के राजनीतिक रिश्ते अलग होने चाहिए और खेल के अलग तो उन लोगो को मुंबई में मारे गए लोगो के बारे में सोचना चाहिए। क्या खेल देश से बढ़ कर होता है हम उन लोगो के साथ खेलते है जो हमारे दुश्मन न हो । आई पी ल में पाक खिलाडी नहीं खेले तो क्या, खेल पर कोई असर होगा। हमारे देश पहली बार ऐसा देखा गया है। लोगो ने पाक का विरोध दिखाया है चाहे फ्रेंचाइजी टीमें कोई भी कारण बता रही हो। इस बात की ख़ुशी है की विरोध तो दिखा...................

जो हम से दुश्मनी रखेगा वह हमारा दोस्त कँही नहीं हो सकता चाहे खेल हो या अन्य कोई जगह..........

Wednesday, January 13, 2010

मुस्कराता रहूँगा जब तक देश में न्याय ताकत के हाँथ है

मुस्कुराता रहूँगा जब तक देश में न्याय ताकत के हाँथ में है, सारा समाज, मीडिया, समाज सेवी संस्थाय कुछ भी करे क्या मैं यों ही मुस्कुराता रहूँगा

क्या हुआ सारे नेताओ ने जो भाषण दिए लगा के शायद "देर आये दुरुस्त आये " वाली कहावत सही हुई , पर ऐसा नहीं हुआ । साहब तो फिर जमानत ले कर चल दिए ।

फिर क्या हुआ सब लोगो का जो हम ने रुचिका के न्याय की मांग का..............

कुछ दिन का जोश और सब वैसा ही चलेगा जैसा चल रहा था.................

हम ने तो अपनी जवाबदारी पूरी कर दी विरोध प्रदर्शन करके ..................



तो क्या अदालत को यह पता नहीं चला या फिर ये प्रदर्शन अदालत के लिए होना था........................


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