मुस्कुराता रहूँगा जब तक देश में न्याय ताकत के हाँथ में है, सारा समाज, मीडिया, समाज सेवी संस्थाय कुछ भी करे क्या मैं यों ही मुस्कुराता रहूँगा
क्या हुआ सारे नेताओ ने जो भाषण दिए लगा के शायद "देर आये दुरुस्त आये " वाली कहावत सही हुई , पर ऐसा नहीं हुआ । साहब तो फिर जमानत ले कर चल दिए ।
फिर क्या हुआ सब लोगो का जो हम ने रुचिका के न्याय की मांग का..............
कुछ दिन का जोश और सब वैसा ही चलेगा जैसा चल रहा था.................
हम ने तो अपनी जवाबदारी पूरी कर दी विरोध प्रदर्शन करके ..................
तो क्या अदालत को यह पता नहीं चला या फिर ये प्रदर्शन अदालत के लिए होना था........................
Wednesday, January 13, 2010
मुस्कराता रहूँगा जब तक देश में न्याय ताकत के हाँथ है
Posted by Pradeep raj soni at 10:43 AM
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