Sunday, December 12, 2010

मेरे पति की मौत को हिंदू संगठनों से न जोड़ें दिग्गी! आई बी अन ७ की khabar

मुम्बई। मुम्बई हमले के दौरान शहीद हुए, महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख, हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे ने शनिवार को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान की आलोचना की। दिग्विजय सिंह ने कहा था कि करकरे ने अपनी मौत से कुछ घंटे पूर्व उन्हें फोन करके कहा था कि दक्षिणपंथी संगठनों से उनकी जान को खतरा है।

कविता ने कहा कि हमारे पति की हत्या पाकिस्तानी आतंकियों ने की थी, दिग्विजय सिंह गलत बोल रहे हैं। कविता ने कहा कि हमारे पति की हत्या से किसी भी हिंदू संगठन का सम्बंध नहीं है। उनकी मौत को हिंदू संगठनों से खतरे के साथ न जोड़ा जाए। यह बयान लोगों को भ्रमित कर सकता है।

ज्ञात हो कि सिंह ने शनिवार को ही इसके पहले कहा कि हेमंत करकरे ने 2008 में मुम्बई हमले में मारे जाने के कुछ घंटे पूर्व उनसे फोन पर बात की थी। सिंह ने दावा किया कि करकरे को उन लोगों से खतरा था, जो मालेगांव विस्फोट जांच का विरोध कर रहे थे। करकरे मालेगांव विस्फोट की जांच का नेतृत्व कर रहे थे। सिंह ने कहा कि करकरे के मारे जाने के दो घंटे पहले मेरी उनसे बात हुई थी। उन्होंने मुझे बताया था कि उनके परिवार और खुद उनकी जान पर उन लोगों से किस तरह खतरा था, जो मालेगांव विस्फोट में उनकी जांच से नाराज थे।

क्या बात है दिग्गी जी क्यों ये बोल कर कांग्रेस की मुसीबत बाधा रहे हो...

पहले ही घोटालो में फसे हो उस पर बोलो...

कमेन्ट:
दिग्गिराज़ा को किसी मनोविशेषज्ञ को दिखाया जाय| यदि ऐसा था तो उन्होने 26/11 के ट्राइयल अदालत में अपना बयान क्यों नही दिया? एक ज़िम्मेदार नागरिक का कर्तव्य क्यों नही निभाया| क्या वे भारत की जनता को बिल्कुल बेवकूफ़ समझते हैं? जानबूझकर यदि उन्होने अदालत से यह छिपायि थी तो उन पर अदालत की तोहिन का मुक़दमा चलना चाहिए| यदि वह झूठ बोल रहें हैं तो जनता के सामने मीडिया के मार्फत स्वीकार करें; अन्यथा हिंदू संगठन इस मनोविक्रत व्यक्ति पर मुक़दमा चलाए| ताकि भविष्य में ऐसी अनर्गल बकवास ना करे| इन कांग्रेसियों में हिंदू द्वेष कूट कूट कर भरा है| कहीं इन्हे भगवा तो कहीं हिंदू आतंकवाद नज़र आता है; मगर इन्हिकी सत्ता के चलते कितने हिंदुओं का कत्ल हुआ यह देखा जाए तो संख्या लाखों में ही गिनानी पड़ेगी| बँटवारे के समय मरने वाले हिंदू ही सबसे ज़्यादा तादाद मे थे; फिर भी इन सत्ता के भूके दरिंदे कांग्रेसियों की खूनी प्यास नही बुझी है| क्या दिग्गी राजा संतुलित दिमाग़ से यह बताएँगे की क्या हिंदुओं का नर संहार उनके राज मे थामेगा भी या नही? कभी कभी तो शक होता है क़ि इस देश पर औरंगजेब का शासन है या किसी जिन्ना के चेलों का|

Thursday, January 28, 2010

नाइटराइडर्स बन सकते हैं अब्दुल रज्जाक और गुल

आखिर हमने आपनी पुरानी आदत दिखा दी पहले बड़े शान से पाकिस्तानी खिलाडियों को नहीं लिया और फिर धोखे बाज पाकिस्तान की धमकी से डरकर अब उनके खिलाडी ले रहे है, कोई बात नहीं फिर एक दो हमले हो देशहम तो क्रिकेट से मतलब रखते है कोई मरे क्या मतलब अगर ऐसा ही करना था तो शान क्यों दिखा रहे थे। पाकिस्तान कभी नहीं सुधरेगा क्योकि हम नहीं चाहते की वो सुधरे...........................................

चलो फिर एक बार हम दोस्त दोस्त खेले तुम फिर मुझे धोका देना मैं तुम्हे फिर मोका दूंगा..................

चलो फिर क्रिकेट खेले देश तो बाकि सभी बातो के लिए है खेल में हम दोस्त रहे तुम यंहा से पैसे कमाओ और हमारे देश के खिलाफ उपयोग करो..................

Tuesday, January 26, 2010

तो अब देश की सुरक्षा और खेल अलग - अलग होंगे

अब देश की सुरक्षा की जवाबदारी देश के आदर्श कहे जाने वाले खिलाडी जो हमारे देश को दुनिया में प्रतिनिधित्व करते है उन पर नहीं है वो आजाद हैवो किसी भी देश के साथ खेल सकते हैसीमा पर तो जवानों की जवाबदारी हैहम तो देश में क्रिकेट खेलेंगे चाहे कल फिर कोई हमला हो , हम अपने देश के साथ ऐसे लोगो का विरोध नहीं करेंगे

शायद मैं कुछ ज्यादा ही गुस्से से ये लिख रहा हूँ पर बहुत से लोग इस बात पर मुझ से सहमत होंगे....

अगर बच्चे की गलतियों को माता पिता भी छोड़ दे तो वह बिगड़ जाता है तो फिर भारत क्यों पाकिस्तान को हमेशा माफ़ करता रहे और बिगड़ने का मोका देता रहे अगर वह के लोग चाहे तो उनके नेता कभी भारत पर हमला कर सके फिर ये कैसे कह सकते है कि पाकिस्तान के लोग भारत से लड़ना नहीं चाहते चाहे वो क्रिकेट खिलाडी हो या आम नागरिक सब मिले है.........!

Monday, January 25, 2010

शर्मिंदा है शाहरुख़ और शायद हम भी.....

कोलकाता नाइटराइडर्स के मालिक शाहरुख शर्मिंदा है । क्यों आप को उस समय समझ नहीं आया आप को पूरी पाकिस्तान टीम खरीद लेना था । मुंबई हमला हो या जम्मू हम खेल का महत्व जानते है देश का क्या करना.....
आखिर क्रिकेट सबसे ऊँचा और फिर पाकिस्तान ने कह दिया है । हम अपने देश में आतंक वाद नहीं हटा सके तो भारत का पर हमले के हमारी जवाब दारी नहीं है । फिर ऐसे में खिलाडी तो खरीदना ही चाहिए क्योकि भारत में तो खिलाडी नहीं है और दुनिया के किसी देश के खिलाडी नहीं लेते तो चलता पर पाकिस्तान के खिलाडी लेना जरूरी है.......
शाहरुख़ जी इसके बाद तो हमे भी शर्म आ रही है , अपने देश की सुरक्षा के लिए हम अब भी पड़ोसियों के और देखते है ..............

Tuesday, January 19, 2010

आखिर क्रिकेट से ऊँचा देश है

जब हम किसी से बार बार धोखा खा चुके है तो ऐसे में कोई भी सम्बन्ध रखना जरूरी नहीं है चाहे वो कोई खेल हो या राजनीतिक। और कुछ लोगो का कहना है के राजनीतिक रिश्ते अलग होने चाहिए और खेल के अलग तो उन लोगो को मुंबई में मारे गए लोगो के बारे में सोचना चाहिए। क्या खेल देश से बढ़ कर होता है हम उन लोगो के साथ खेलते है जो हमारे दुश्मन न हो । आई पी ल में पाक खिलाडी नहीं खेले तो क्या, खेल पर कोई असर होगा। हमारे देश पहली बार ऐसा देखा गया है। लोगो ने पाक का विरोध दिखाया है चाहे फ्रेंचाइजी टीमें कोई भी कारण बता रही हो। इस बात की ख़ुशी है की विरोध तो दिखा...................

जो हम से दुश्मनी रखेगा वह हमारा दोस्त कँही नहीं हो सकता चाहे खेल हो या अन्य कोई जगह..........

Wednesday, January 13, 2010

मुस्कराता रहूँगा जब तक देश में न्याय ताकत के हाँथ है

मुस्कुराता रहूँगा जब तक देश में न्याय ताकत के हाँथ में है, सारा समाज, मीडिया, समाज सेवी संस्थाय कुछ भी करे क्या मैं यों ही मुस्कुराता रहूँगा

क्या हुआ सारे नेताओ ने जो भाषण दिए लगा के शायद "देर आये दुरुस्त आये " वाली कहावत सही हुई , पर ऐसा नहीं हुआ । साहब तो फिर जमानत ले कर चल दिए ।

फिर क्या हुआ सब लोगो का जो हम ने रुचिका के न्याय की मांग का..............

कुछ दिन का जोश और सब वैसा ही चलेगा जैसा चल रहा था.................

हम ने तो अपनी जवाबदारी पूरी कर दी विरोध प्रदर्शन करके ..................



तो क्या अदालत को यह पता नहीं चला या फिर ये प्रदर्शन अदालत के लिए होना था........................

Tuesday, December 29, 2009

निठारी केस में पंधेर को एक मामले में दोषी नहीं मन गया

क्या पहले यहाँ तय था की एक वफादार नौकर आपने मालिक को बचा लेगा। या यह रणनीति बाद में बनाई गई है। क्या ऐसा हो सकता है, कि नौकर ने सब किया और हर महीने आने वाले मालिक को कुछ पता नहीं ?

क्या इस केस को भी आम जनता की जागरूकता नया मोड़ देगी या फिर जैसा चल रहा है वैसा चलता रहेगा । मीडिया भी इसे अब भूलती जा रही है और जनता तो वैसे ही अपने महगाई के कारण परेशांन है उसे कहाँ इतना वक़्त कि अपने गम भूल कर औरो कि परवाह करती रहे पर जब कभी मीडिया ऐसा कुछ करती है तो साथ देने जरुर आ जाती है । आज फिर न्यूस में निठारी केस का देख कर याद आया के कुछ और रुचिका इंसाफ का इंतजार कर रही है ।

क्या उनको भी इंसाफ मिलेगा या ................?


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